वायु द्वारा परागण को क्या कहते हैं
वायु परागण करने वाले पुष्पों द्वारा प्रचुर मात्रा में परागकण (pollen grains) उत्पन्न होते हैं। क्योंकि वायु के झोंकों के साथ परागकणों का अधिकांश भाग इधर-उधर गिरकर नष्ट हो जाता है और फिर थोड़े से परागकण ही वास्तविक परागण क्रिया में भाग ले पाते हैं।
जब एक पुष्प का परागकण दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र तक वायु द्वारा पहुंचते हैं तो इस प्रकार के परागण को वायु-परागण कहते हैं, वायु परागित पुष्पों में आकर्षण, मकरग्रंथियों और सुगंध का अभाव होता है इस कमी को पूरा करने के लिए पुष्पों में असंख्य परागकण बनते हैं। जैसे – मक्का, चावल, गेहूं, घास, गन्ना, ताड़ आदि के पौधों में वायु-परागण होता है।
वायु परागण करने वाले पुष्पों द्वारा प्रचुर मात्रा में परागकण (pollen grains) उत्पन्न होते हैं। क्योंकि वायु के झोंकों के साथ परागकणों का अधिकांश भाग इधर-उधर गिरकर नष्ट हो जाता है और फिर थोड़े से परागकण ही वास्तविक परागण क्रिया में भाग ले पाते हैं
वायु परागण या एनीमोफिली