DHFL Banking Fraud Scam: भारत का सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड, जानिए क्या है डीएचएफएल बैंकिंग फ्रॉड

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Thu, 23 Jun 2022 10:53 PM IST

Highlights

दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड बैंक फ्रॉड केस सीबीआई द्वारा दर्ज़ किया गया अब तक का सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड का मामला है. 

Source: Safalta.com

नई दिल्ली - केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation, सीबीआई) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के निदेशक कपिल वाधवान और इसके पूर्व सीएमडी कपिल वाधवान पर लगे 36,615 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में मुंबई में 15 स्थानों पर छापेमारी शुरू कर दी है. 
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देश का सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड

देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड घोटाले से जुड़े इस मामले में सीबीआई ने कपिल वाधवान और धीरज वाधवान पर एक नया केस रजिस्टर कर लिया है. यह वो मामला है जिसमें इन दोनों भाईयों ने मिलकर बैंकिंग समूह को 34,615 करोड़ रूपए से भी अधिक का चूना लगा दिया था. जिन बैंकों के साथ धोखाधड़ी की गई थी उनकी अगुआई यूनियन बैंक ऑफ इंडिया कर रहा था. हैरत की बात है कि यह सीबीआई द्वारा दर्ज़ किया गया अब तक का सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड का मामला है. मामले में सीबीआई द्वारा केस से जुड़े 12 परिसरों की तलाशी और छानबीन की जा रही है.
 
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आपराधिक साजिश का केस

सीबीआई ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के सीएमडी रहे कपिल वाधवान और निदेशक धीरज वाधवान के साथ साथ रियल स्टेट के कारोबार से जुड़ी कुल 6 कम्पनियों के खिलाफ़ आपराधिक साजिश का केस दर्ज़ किया है. ज्ञातव्य हो कि साल 2021 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सीबीआई से दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के खिलाफ 40,623 करोड़ के बैंकिंग फ्रॉड की जांच करने की अपील की थी. इस सिलसिले में 11 फरवरी 2022 में सीबीआई को यह शिकायत दी गयी थी, जिसके बाद इस मामले में कार्यवाही शुरू की गयी थी. इसमें ये पता चला था कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के सीएमडी रहे कपिल वाधवान और निदेशक धीरज वाधवान और यस बैंक के को-फाउंडर राणा कपूर ने मिलकर इस बैंकिंग फ्रॉड को अंजाम दिया था. ये दोनों वही वाधवान भाई हैं जो कोरोना काल में भी लॉकडाउन तोड़ने के कारण गिरफ्तार किए गए थे.   
इस मामले में सीबीआई और ईडी के केस रजिस्टर करने के बाद से हीं ये मुम्बई के तलोज़ा जेल में बंद थे. फिलहाल ये दोनों भाई जमानत पर हैं.
सीबीआई के सूत्रों से बताया गया है कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, नरीमन पॉइंट, मुंबई के डीजीएम और शाखा प्रमुख विपिन कुमार शुक्ला ने इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. सीबीआई ने जांच के बाद आईपीसी की धारा 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की धारा 13 (2) के तहत ये मामला दर्ज किया है.
 

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क्या हुआ था

साल 2019  में केपीएमजी (Klynveld Peat Marwick Goerdeler) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) की फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट जारी की थी जिससे ये साबित हुआ था कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के प्रोमोटर ने डीएचएफएल से 20 हज़ार करोड़ रुपये अपनी कंपनीज को ट्रान्सफर किए थे. जांच के बाद ये पता चला कि मुम्बई के बांद्रा ब्रांच में बहुत से एकाउंट्स खोले गए थे और ऐसी कम्पनियाँ जिनका प्रॉफिट केवल 1 लाख रूपए था, उनको भी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) ने 14 हज़ार करोड़ का लोन दिया था और बाद में ये पैसे अपनी कम्पनियों को ट्रान्सफर कर दिए थे. इनमें से कई सारी कम्पनियों ने डीएचएफएल को लोन के पैसे वापिस नहीं किए यानि कि अपना लोन रीपे नहीं किया फिर भी डीएचएफएल ने उन लोन्स को एनपीए (नॉन परफॉरमिंग एसेट्स) में नहीं डाले थे. डीएचएफएल ने कुल 31 हज़ार करोड़ रूपए अलग अलग कम्पनियों के माध्यम से अपनी कम्पनियों को ट्रान्सफर किए थे.