Difference Between Scheduled Tribes and Scheduled Castes : अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के बीच अंतर

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Sat, 11 Jun 2022 03:21 PM IST

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अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बीच क्या अंतर है.

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कल हमने जाना कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति क्या है ? आज के इस आर्टिकल में हम जानेगे कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बीच क्या अंतर है. आइए विस्तार से समझते हैं - अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. 

इन्हें शिड्यूल्ड या अनुसूचित क्यों कहा जाता है ?
इन जातियों को भारतीय संविधान की एक सूची यानि शिड्यूल में शामिल किया गया है, इसलिए इन्हें भारत के संविधान में शिड्यूल्ड या अनुसूचित जाति/जनजाति कहा जाता है. इसके अंतर्गत कुल 12 सूची या शिड्यूल आते हैं. इन जातियों को शिड्यूल्ड या अनुसूचित करने का मुख्य उद्द्येश्य इन्हें समाज की मुख्य धारा में लाना तथा इनका सामाजिक, आर्थिक एवं सर्वंगीण विकास करना था ताकि इन्हें असमानता का सामना न करना पड़े.
शिड्यूल कास्ट के अंतर्गत उन जातियों को शामिल किया गया है जो पूर्व में अछूत,अस्पृश्य,दलित या हरिजन कहे जाते थे. दूसरी तरफ शिड्यूल्ड ट्राइब में आदिवासी या जंगलों, पहाड़ों, वनों में जीवन बिताने वाली जातियों को रखा गया है.
 
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और आईए अब जानते हैं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में क्या अंतर है ?
 
क्रम संख्या अनुसूचित जाति अनुसूचित जन जाति
1. अनुसूचित जाति वे हैं जिसे समाज में बराबरी का दर्ज़ा नहीं दिया जाता था. और ये गाँव के बाहर या बस्ती और आबादी से अलग अपने घर बना कर रहते थे.
इनका काम शवों को दफनाना, मृत जानवरों को हटाना साफ़ करना,
ये आदिवासी के नाम से भी जाने जाते थे. ये लोग खुद हीं समाज में शामिल होना पसंद नहीं करते और आबादी से बाहर जंगलों आदि में अपनी अलग बस्ती बना कर रहते हैं.
2. शिड्यूल्ड कास्ट शब्द का प्रयोग सर्वप्रथ 1935 गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 के दौरान हुआ. अनुसूचित जाति की सूची में अनुसूचित जाति अध्यादेश 1950 के अनुसार इनकी संख्या 1108 थी. अनुसूचित जनजाति शब्द का प्रयोग पहले पहल स्वतंत्र भारत के संविधान में किया गया.
अनुसूचित जनजाति की प्रथम सूची में जातियों की संख्या 744 थी.
3. अनुसूचित जाति में ऐसी जातियों को रखा गया है जिन्हें सामाजिक तौर पर भेदभाव या आइसोलेशन का सामना करना पड़ता था. अनुसूचित जनजाति में ऐसी जातियों को शामिल किया गया है जो भौगोलिक और सामाजिक दोनों स्तर पर हमारे समाज से दूर या आइसोलेटेड थीं.
4. भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति से सम्बन्धित कोई भी परिभाषा उल्लिखित नहीं है. भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजाति से सम्बन्धित परिभाषा का उल्लेख मौजूद है.
5. इनके पर्व त्यौहार अधिकतर हिन्दुओं की तरह हीं मिलतेजुलते होते हैं. अनुसूचित जातियाँ प्रकृति को मात्र संसाधन मानती हैं. इनके पर्व त्यौहार अधिकतर प्रकृति से सम्बन्धित होते हैं. ये मूलतः प्रकृति पूजक होते हैं. ये प्रकृति के साथ ये सामंजस्य स्थापित करके चलते हैं प्रकृति  उनके लिए आराध्य होते है
6. अनुसूचित जातियों में अनुसूचित जनजातियो की तरह टोटमावाद जैसी कोई चीज नहीं देखी जाती है.
और न हीं अनुसूचित जातियों में शादी को लेकर ऐसी कोई वाध्यता है.
इनमें अंतर्जातीय तथा अंतरधार्मिक विवाह भी हो सकते हैं.
अनुसूचित जनजातियो में  टोटमावाद पाया जाता है, अर्थात उनके गोत्र नहीं होते बल्कि उनमें गुस्टी पाई जाती है, जो प्रायः किसी पेड़ पौधे या जीव जंतु आदि के नाम पर होते हैं. अनुसूचित जनजातियाँ समान टोटेम मे शादी करतीं हैं.

इनकी शादियाँ इनके अपने समाज के भीतर हीं होती है. बाहरी समाज के लोगों को ये लोग स्वीकार नहीं करते. और उन्हें अपने समाज से निष्कासित कर देते हैं.
7. इनके रीति रिवाज अधिकतर हिन्दुओं की तरह हीं होते हैं.

 
इनकी अपनी अलग पारंपरिक पोशाक. अपने अलग रीति रिवाज, यहाँ तक कि इनके देवी देवता भी अलग होते हैं.जैसे -झारखण्ड के  आदिवासी सिंगबोंगा की पूजा करते हैं. 
8. शिड्यूल्ड कास्ट के लोगों से समाज में मलमूत्र सफाई, मरे हुए जानवरों का चमड़ा निकलने आदि कई निम्न और घृणित कार्य करवाए जाते थे. अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ ऐसी कोई बाध्यता नहीं थी.
9. अनुसूचित जाति का सरकारी नौकरियों में आरक्षण 15% है. जबकि अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 7.5% है.
10. अनुसूचित जाति निश्चित भूभाग पर हीं पाए जाएँ, ऐसा जरूरी नही है. अनुसूचित जनजाति एक निश्चित भूभाग पर हीं पाई जाती है, यानि  जनजाति किसी भी देश के सम्पूर्ण क्षेत्र मे नहीं पाई जाती है. अगर इक्की दुक्की जनजातियाँ अपने मूल क्षेत्र के बाहर पाई भी जाती भी है तो वह अपने मूल क्षेत्र से हीं  माईग्रेट होकर वहाँ पहुँची हुई होती हैं.
 
11. परंन्तु अनुसूचित जाति की अपना कोई कबीला और कबीले की भाषा नही होती है. अधिकांश अनुसूचित जनजातियों की अपने कबीले के हिसाब से अपनी भाषा होती है.
12. अनुसूचित जाति में किसी प्रकार के आदिम लक्षणों का पाया जाना कोई जरूरी नहीं है. अनुसूचित जनजाति समूहों के रहन सहन रीति रिवाज और मान्यताओं मे बहुत सारे आदिम लक्षण पाए जाते है.
 
13. अनुसूचित जातियों में अपने भीतर भी श्रेष्ट और निम्न की भावना,छुआछुत की भावना आदि पाई जाती है. अनुसूचित जनजातियो मे ऊँच नीच, छुआछूत आदि की भावना नहीं पाई जाती है. वे अधिकतर समतावादी होते है.
14. अनुसूचित जातियाँ अपने अधिकतर धार्मिक अनुष्ठान स्वयं संपन्न नहीं करती है. अनुसूचित जनजातियाँ अपने अधिकतर धार्मिक अनुष्ठान स्वयं  संपन्न करती है. सामाजिक धार्मिक आयोजनों के लिए अलग पुजारी हो सकते हैं पर उनके  चयन के लिए किसी टोटेम या जातिविशेष का होना जरूरी नहीं  है.
15. अनुसूचित जातियों में जेनेटिक डिसऑर्डर जनजातियों की अपेक्षा बहुत हीं कम पाए जाते हैं. अनुसूचित जनजातियों में जेनेटिक डिसऑर्डर- जैसे थेलेसीमियाँ,किटोनयुरिया,सिकलसेल एनिमिया,मेलानोसाईट्स आदि तुलनात्मक दृष्टि से अधिक पाई जाती है.
 
16. अनुसूचित जातियों की आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति अनुसूचित जनजातियों से कुछ बेहतर है. अनुसूचित जनजातियाँ अधिकतर आर्थिक और शैक्षणिक रूप से बहुत पिछड़ी हुई होती हैं.
17. अनुसूचित जातियों की सामाजिक व्यवस्था अधिकतर पितृसत्तात्मक होती है. अनुसूचित जनजातियों में सामाजिक व्यवस्था अधिकतर मातृसत्तात्मकता देखी जाती है.
 
18. अनुसूचित जातियों में सामूहिक आयोजनों का होना जरूरी नहीं है. अनुसूचित जनजातियों में अधिकतर सामाजिक और धार्मिक आयोजन सामूहिक हुआ करते है.
19. परंतु अनुसूचित जातियों ने अपने उपर बहुत से आडम्बर लाद लिए है. अनुसूचित जनजातियों का जीवन सरल, सहज और आडम्बर से विहीन होता है.
20. अनुसूचित जातियाँ अनुसूचित जनजातियों की तरह किसी विधि निषेद का पालन नहीं  करती हैं, अनुसूचित जनजातियों में टाबु पाया जाता है. यानि जनजातियाँ कुछ विशेष विधिनिषेद का पालन करती है जो उनके टोटेम पर निर्भर करता है.
21. अनुसूचित जातियाँ, अनुसूचित जनजातियों की अपेक्षा अधिक आधुनिक हो चुकी हैं. अनुसूचित जनजातियाँ अधिकतर आत्मनिर्भर होती है. यानि कि उनकी जरूरतें कम होती हैं इसलिए वे दूसरों पर कम आश्रित  होती हैं.
22. अनुसूचित जातियां सभ्य समाज के साथ प्रायः संकोची नही होती. अनुसूचित जनजातियाँ सभ्य समाज से संपर्क करने मे संकोची होते है
 
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Scheduled Tribes and Scheduled Castes

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