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अंतरिम सरकार - पृष्ठभूमि
- अंतरिम सरकार का गठन एक शाही संरचना और एक लोकतांत्रिक संरचना के बीच की एक अस्थायी सरकार के रूप में किया गया था.
- यह अगस्त 1946 में चुनी गई संविधान सभा से बनी थी
- संविधान सभा का चुनाव प्रत्यक्ष नहीं था और प्रतिनिधियों का चुनाव प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा किया गया था
- इन चुनावों में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने लगभग 69% सीटें जीतीं और उसके पास बहुमत था.
- कांग्रेस पार्टी ने 208 सीटें जीतीं थीं और मुस्लिम लीग ने 73 सीटें
- शुरूआत में मुस्लिम लीग ने एक अलग राष्ट्र की मांग पर जोर देते हुए, अंतरिम सरकार का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था, लेकिन अंततः वह इसका हिस्सा बना ; मुहम्मद अली जिन्ना के शब्दों में, "मुस्लिम लीग पाकिस्तान (अपने लिए अलग राष्ट्र) बनाने के लक्ष्य के लिए लड़ने हेतु पैर जमाने के लिए अंतरिम सरकार में जा रही थी"
- यह भारत के इतिहास में एकमात्र ऐसी कैबिनेट थी जिसमें कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने केंद्र में सत्ता साझा की थी
- अंतरिम सरकार में, वायसराय की कार्यकारी परिषद को मंत्रिपरिषद के बराबर का अधिकार दिया गया था
- पंडित जवाहरलाल नेहरू इस अंतरिम सरकार के उपाध्यक्ष बने और उन्होंने प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया
- अंतरिम सरकार ने बड़ी स्वायत्तता के साथ काम किया, और ब्रिटिश शासन के अंत तक सत्ता में रही.
अंतरिम सरकार के गठन का संबंध द्वितीय विश्व युद्ध से है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की अवधि भारत की स्वतंत्रता के सम्बन्ध में एक बेहद महत्वपूर्ण समय था क्योंकि इस समय सभी राजनीतिक कैदियों (जो भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा थे) को रिहा कर दिया गया था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने संविधान सभा के गठन में अपनी भागीदारी की घोषणा करके अंतरिम सरकार की नींव रखी. क्लेमेंट एटली की नवगठित सरकार (ब्रिटेन) ने एक स्वतंत्र भारत के निर्माण का प्रस्ताव तैयार करने के लिए सन्1946 में कैबिनेट मिशन को भारत भेजा. इससे पहले 1942 में क्रिप्स मिशन को भी भारत भेजा गया था.
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- 1942 में क्रिप्स मिशन से शुरू होकर, 1946 के कैबिनेट मिशन तक, भारत में अंतरिम सरकार बनाने के लिए औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा कई प्रयास किए गए
- 1946 में, ब्रिटिश प्रधान मंत्री क्लेमेंट एटली द्वारा भेजे गए ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के प्रस्तावों के बाद संविधान सभा के चुनाव हुए
- इस चुनाव में, कांग्रेस ने विधानसभा में बहुमत प्राप्त किया, और मुस्लिम लीग ने मुस्लिम मतदाताओं के बीच अपना समर्थन मजबूत किया
- वायसराय वेवेल ने बाद में भारतीय प्रतिनिधियों से अंतरिम सरकार में शामिल होने का आह्वान किया
- 1935 के भारत सरकार अधिनियम के तहत एक संघीय योजना की कल्पना की गई थी, लेकिन भारत की रियासतों के विरोध के कारण इस घटक को तभी लागू नहीं किया जा सका
- परिणामस्वरूप, अंतरिम सरकार ने 1919 के भारत सरकार अधिनियम के अनुसार कार्य किया
अंतरिम सरकार के सदस्य
भारत की अंतरिम सरकार का मंत्रिमंडल निम्नलिखित सदस्यों से बना था:कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष (वायसराय और भारत के गवर्नर-जनरल): विस्काउंट वेवेल (फरवरी 1947 तक); लॉर्ड माउंटबेटन (फरवरी 1947 से)
कमांडर-इन-चीफ: सर क्लाउड औचिनलेक
उपराष्ट्रपति, विदेश मामलों और राष्ट्रमंडल संबंधों के भी प्रभारी: जवाहरलाल नेहरू (कांग्रेस)
गृह मामले, सूचना और प्रसारण: सरदार वल्लभभाई पटेल (कांग्रेस)
कृषि और खाद्य: राजेंद्र प्रसाद (कांग्रेस)
वाणिज्य: इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर (मुस्लिम लीग)
रक्षा: बलदेव सिंह (कांग्रेस)
वित्त: लियाकत अली खान (मुस्लिम लीग)
शिक्षा और कला: सी राजगोपालाचारी (कांग्रेस)
स्वास्थ्य: ग़ज़नफ़र अली ख़ान (मुस्लिम लीग)
श्रम: जगजीवन राम (कांग्रेस)
कानून: जोगेंद्र नाथ मंडल (मुस्लिम लीग)
रेलवे और संचार, डाक और वायु: अब्दुर रब निश्तार (मुस्लिम लीग)
वर्क्स, माइन्स एंड पावर: सी एच भाभा (कांग्रेस)
अंतरिम सरकार के कुछ महत्वपूर्ण फैसले-
- नवंबर 1946 में, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन पर कन्वेंशन की पुष्टि की
- उसी महीने, सशस्त्र बलों के राष्ट्रीयकरण पर सरकार को सलाह देने के लिए एक समिति नियुक्त की गई थी
- दिसंबर में मौलाना अबुल कलाम आजाद को सरकार में शामिल किया गया था
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प्रमुख कार्य
भारत के राजनैतिक कौशल का अरुणोदय
- 26 सितंबर, 1946 को, नेहरू ने सभी देशों और सद्भावना मिशनों के साथ सीधे राजनयिक संबंधों में शामिल होने की सरकार की योजना की घोषणा की
- वर्ष 1947 में भारत और कई देशों के बीच राजनयिक रास्ते खुले
- अप्रैल 1947 में, अमेरिका ने डॉ. हेनरी एफ. ग्रेडी को भारत में अपना राजदूत नियुक्त करने की घोषणा की
- यूएसएसआर और नीदरलैंड के साथ दूतावास स्तर के राजनयिक संबंध भी अप्रैल में शुरू हुए
- मई में, पहले चीनी राजदूत डॉ. लो चिया लुएन आये, और कोलकाता में बेल्जियम के महावाणिज्य दूत को भारत में बेल्जियम का राजदूत नियुक्त किया गया
- 1 जून को, भारतीय राष्ट्रमंडल संबंध विभाग और विदेश मामलों के विभाग को मिलाकर विदेश मामलों और राष्ट्रमंडल संबंधों के एकल विभाग का गठन किया गया
- 3 जून 1947 को भारत पाकिस्तान विभाजन की घोषणा की गयी थी. इस स्थिति से निपटने के लिए 5 जून को एक समर्पित कैबिनेट उप-समिति का गठन किया गया था, इसमें जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभाई पटेल, लियाकत अली खान, अब्दुर रब निश्तार और बलदेव सिंह शामिल थे
- बाद में, 16 जून को, विभाजन के प्रशासनिक परिणामों से निपटने के उद्देश्य से एक विशेष कैबिनेट समिति बनाई गई
- इस समिति में वायसराय, सरदार वल्लभाई पटेल, राजेंद्र प्रसाद, लियाकत अली खान और अब्दुर रब निश्तार शामिल थे
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