History of French Power in India: भारत में फ़्रांसिसी शक्ति के उदय का इतिहास एवं पतन के मुख्य कारण

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Tue, 22 Feb 2022 01:32 PM IST

Source: Safalta

यूरोपियों के भारत आने के क्रम में अंतिम यूरोपियों फ़्रांसिसी थे. सन् 1664 ई. में भारत के साथ व्यापार करने के लिए राजा लुई XIV के शासनकाल के दौरान फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन किया गया था. 1668 ई. में फ्रांसीसियों ने सूरत में अपना पहला कारखाना स्थापित किया और 1669 ई. में मसुलीपट्टम में एक और फ्रांसीसी कारखाना स्थापित किया. इसके बाद 1673 ई. में बंगाल के मुगल सूबेदार ने फ्रांसीसियों को चंद्रनगर में एक बस्ती बसाने की अनुमति दी. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
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पांडिचेरी और फ़्रांसिसी वाणिज्यिक विकास –

1674 ई. में, फ्रांसिसियों ने बीजापुर के सुल्तान से पांडिचेरी नामक एक गांव प्राप्त किया और उस पर एक संपन्न शहर की स्थापना की जो कि बाद में भारत में, फ्रांसिसियों का मुख्य गढ़ बन गया. समय बीतने के साथ फ्रांसिसी ईस्ट इंडिया कंपनी ने माहे, कराईकल, बालासोर और कासिम बाजार में अपने व्यापारिक क्षेत्र विकसित किए. फ्रांसीसी मुख्य रूप से व्यापार और वाणिज्य के उद्देश्य से भारत आए थे. उनके आगमन से 1741 ई. तक, अंग्रेजों की तरह फ्रांसीसियों के भी उद्देश्य विशुद्ध रूप से व्यावसायिक थे. फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1723 ईस्वी में यनम, 1725 ईस्वी में मालाबार तट पर माहे और 1739 ईस्वी में कराईकल पर अधिकार कर लिया.

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फ्रांसिसियों का राजनीतिक मकसद और महत्वाकांक्षा –

जैसे-जैसे समय बीतता गया, फ्रांसीसियों के उद्देश्यों में बदलाव आया और वे भारत को अपनी कॉलोनी मानने लगे. 1741 ईस्वी में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर के रूप में जोसेफ फ्रेंकोइस डुप्लेक्स की नियुक्ति इस दिशा में उनका पहला कदम था. डुप्लेक्स बेहद प्रतिभाशाली था. उसने स्थानीय शासकों के बीच प्रतिद्वंद्विता का फायदा उठाया और इसे भारत में फ्रांसीसी साम्राज्य स्थापित करने के लिए ईश्वर द्वारा भेजे गए अवसर के रूप में देखा. वह उत्कृष्ट स्तर का कूटनीतिज्ञ था, जिसने उसे भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में सम्मानजनक स्थान दिलाया. लेकिन अंग्रेजों ने डुप्लेक्स और फ्रांसीसियों को चुनौती दी और बाद में दोनों शक्तियों का आमना-सामना हुआ. मार्क्विस डी बुसी-कास्टेलनौ के तहत डुप्लेक्स की सेना ने हैदराबाद और केप कोमोरिन के बीच के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया. रॉबर्ट क्लिविया - एक ब्रिटिश अधिकारी - 1744 ईस्वी में भारत आया, और निर्णायक रूप से डुप्लेक्स को हराया. इस हार के बाद 1754 ई. में डुप्लेक्स को फ्रांस वापस बुला लिया गया था.

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फ़्रांसीसी कुछ क्षेत्रों तक सीमित –
लैली-टोलेंडल, जिन्हें फ्रांसीसी सरकार द्वारा भारत से अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए भेजा गया था, को कुछ प्रारंभिक सफलता मिली, खासकर तब जब उन्होंने 1758 ई. में अंग्रेजों से कडलोर के फोर्ट सेंट डेविड को छीन लिया. लेकिन अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच हुए 1760 के वांडीवाश के युद्ध ने फ्रांसीसियों की कमर तोड़ दी क्योंकि उन्हें अपने हैदराबाद क्षेत्र को छोड़ना पड़ा. इसके बादअंग्रेजों ने पांडिचेरी की घेराबंदी कर ली. 1761 ई. में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को नष्ट कर दिया. इस प्रकार फ्रांसीसियों ने दक्षिण भारत में अपनी पकड़ खो दी. बाद में, 1763 ई. के ब्रिटेन के साथ की संधि के प्रावधानों के अनुसार, पांडिचेरी को 1765 ई. में फ्रांस को लौटा दिया गया था.
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1. फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन कब हुआ था?

सन् 1664 ई. में भारत के साथ व्यापार करने के लिए राजा लुई XIV के शासनकाल के दौरान फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन किया गया था।

2. फ्रांसीसियों को भारत में पहली बस्ती कब और कहां बसाने की अनुमति दी गई

1673 ई. में बंगाल के मुगल सूबेदार ने फ्रांसीसियों को चंद्रनगर में एक बस्ती बसाने की अनुमति दी.

3. फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले गवर्नर कौन थे

जोसेफ फ्रेंकोइस डुप्लेक्स की नियुक्ति 1741 ईस्वी में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर के रूप की गई थी।

4. फ्रांसीसी सरकार ने भारत से अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए किसको भेजा था?

लैली-टोलेंडल, जिन्हें फ्रांसीसी सरकार द्वारा भारत से अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए भेजा गया था

5. फ्रांस ने दक्षिण भारत में अपनी पकड़ कब खो दी?

1761 ई. में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को नष्ट कर दिया. इस प्रकार फ्रांसीसियों ने दक्षिण भारत में अपनी पकड़ खो दी.