जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म- सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेज (सीईएसएस) के अनुसार, 9 फरवरी से 10 फरवरी के बीच पृथ्वी पर फिर से एक मध्यम भू-चुंबकीय तूफान का प्रभाव पड़ने वाला है.
हालांकि, इसका प्रभाव बहुत ज्यादा खतरनाक होने की संभावना नहीं है.
यह 6 फरवरी को डिस्क केंद्र के दक्षिण में सूर्य पर एक फिलामेंट विस्फोट के बाद आया था. जो कि 3 फरवरी को, पृथ्वी एक सिमिलर जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म (समान भू-चुंबकीय तूफान) से टकरा गया था.
3 फरवरी का जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म-
30 जनवरी को सूर्य की सतह पर एम1-क्लास सोलर फ्लेयर द्वारा एक शक्तिशाली विस्फोट होने के बाद 3 फरवरी को एक मामूली भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी से टकराया. विस्फोट ने AR2936 क्षेत्र में पृथ्वी की ओर निर्देशित एक कोरोनल मास इजेक्शन (CME) छोड़ा. यह क्षेत्र इतना विशाल है कि इसमें पूरी की पूरी पृथ्वी समा सकती है.
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इस तूफान की वजह से एलोन मस्क के स्टारलिंक ने 3 फरवरी को अपने लांच किए जाने के ठीक एक दिन बाद हीं दर्जनों उपग्रहों को खो दिया है.
4 फ़रवरी को जारी स्टारलिंक के एक बयान के अनुसार (रॉकेट) फाल्कन 9 के दूसरे चरण ने उपग्रहों को पृथ्वी से लगभग 210 किलोमीटर की परिधि के साथ उनकी इच्छित कक्षा में तैनात किया, और प्रत्येक उपग्रह ने नियंत्रित उड़ान हासिल की. पर दुर्भाग्यवश, इन तैनात उपग्रहों को गुरुवार (3 फरवरी) को आए जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म (भू-चुंबकीय तूफ़ान) ने काफी प्रभावित किया जिससे उसे काफी क्षति पहुँची.
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जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म क्या है?
जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म पृथ्वी के मैग्नेटोस्फेयर (चुम्बकीय मंडल) में एक विक्षोभ है जो सोलर विंड शॉक वेव के बादल के पृथ्वी के मैग्नेटोस्फेयर (चुंबकीय क्षेत्र) से इंटरैक्ट करने के कारण होता है. इस विक्षोभ को 1 से 5 के पैमाने पर रेट किया गया है, जिसमें 1 सबसे कमजोर और 5 सबसे मजबूत स्केल माना गया है. यूएस स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (SWPC) एक जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म को पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर की एक मेजर डिस्टर्बिंग फैक्टर (बड़ी गड़बड़ी) के रूप में परिभाषित करता है, जो तब होता है जब सोलर विंड या सौर हवा से पृथ्वी के आसपास के स्पेस एनवायरनमेंट या अंतरिक्ष वातावरण में ऊर्जा का एक बहुत हीं एफिशिएंट एक्सचेंज होता है.
भूचुंबकीय तूफान के प्रभाव-
जब एक जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म या भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी से टकराता है, तो यह न केवल उपग्रहों के इलेक्ट्रॉनिक्स को संभावित रूप से नुकसान पहुंचा सकता है, अपितु पृथ्वी पर रेडियो संचार नेटवर्क को भी बाधित कर सकता है. यह जीपीएस सिग्नल और बिजली ग्रिड को भी प्रभावित कर सकता है. इस समय के दौरान उच्च अक्षांशों पर आमतौर पर तड़का (Aurora) भी दिखाई देता है.
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भू-चुंबकीय तूफान वोल्टेज में भी व्यवधान पैदा कर सकते हैं जिससे बिजली की कटौती हो सकती है. इसके कारण सोईल वोल्टेज (मृदा वोल्टेज) में परिवर्तन हो सकता है जो तेल पाइपलाइनों में क्षरण या जंग को बढ़ाता है. इसके कारण सेलुलर संचार नेटवर्क में व्यवधान, उच्च स्तर के रेडिएशन्स या विकिरण, और ध्रुवीय मार्गों वाली उड़ानों में कटौती हो सकती है.
भूचुंबकीय तूफान 1859 -
सबसे बड़े जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) से जुड़े हुए हैं और 1859 के भू-चुंबकीय तूफान, जिसे कैरिंगटन तूफान भी कहा जाता है, अब तक का सबसे बड़ा जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म था. यह ऑरोरस की तीव्र चमक और टेलीग्राफ सिस्टम की खराबी के कारण इलेक्ट्रोक्यूटिंग ऑपरेटर की रिपोर्ट द्वारा चिह्नित किया गया था.
लेटेस्ट कोरोनल मास इजेक्शन (CME) AR2929 में एक विस्फोट के हफ्तों बाद आता है, जो एक शक्तिशाली M5-क्लास सोलर फ्लेयर का उत्पादन करता है जिससे हिंद महासागर के चारों ओर एक शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट हो जाता है.
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कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई)- यह सूर्य की सतह से सबसे बड़े विस्फोटों में से एक है और इसमें एक अरब टन पदार्थ होता है जो अंतरिक्ष में कई मिलियन मील प्रति घंटे की रफ़्तार से गति करता है. यह अंतरग्रहीय माध्यम से चलता है और इतना शक्तिशाली होता है कि अपने रास्ते में आने वाली किसी भी चीज को प्रभावित करने की क्षमता रखता है, चाहे वह ग्रह हो या फिर अंतरिक्ष यान.
FAQ -
1. जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म क्या है?
2. अब तक का सबसे बड़ा जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म कौन सा था.
3. जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म कब होता है ?
4. किस तूफ़ान को कैरिंगटन तूफान भी कहते हैं .
5. 1859 के भू-चुंबकीय तूफान को कैसे चिन्हित किया गया ?
उत्तर -
1. जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म पृथ्वी के मैग्नेटोस्फेयर (चुम्बकीय मंडल) में एक विक्षोभ है
2. 1859 के भू-चुंबकीय तूफान अब तक का सबसे बड़ा जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म था.
3.जब सोलर विंड या सौर हवा से पृथ्वी के आसपास के स्पेस एनवायरनमेंट या अंतरिक्ष वातावरण में ऊर्जा का एक बहुत हीं एफिशिएंट एक्सचेंज होता है.
4. 1859 के भू-चुंबकीय तूफान, को कैरिंगटन तूफान भी कहा जाता है.
5. ऑरोरस की तीव्र चमक और टेलीग्राफ सिस्टम की खराबी के कारण इलेक्ट्रोक्यूटिंग ऑपरेटर की रिपोर्ट द्वारा चिह्नित किया गया था.