संघ की संसदीय कार्यवाही के दो प्रमुख साधन हैं – प्रश्नकाल और शून्यकाल. संसद की लगभग 70 प्रतिशत कार्यवाही इन्हीं दोनों कालों के दौरान की जाती है. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now.
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प्रश्नकाल-
प्रश्नकाल यानि की क्वेश्चन ऑवर. यह संसद की कार्यवाही शुरू होने के साथ हीं शुरू हो जाता है. प्रश्नकाल संसद की कार्यवाही का पहला घंटा होता है. अर्थात, सुबह 11 बजे से लेकर 12 बजे तक का समय. यह समय प्रश्नकाल का होता है. जैसा कि नाम से हीं स्पष्ट है इस दौरान संसद के सदस्य प्रश्न पूछते हैं और मंत्री उत्तर देते हैं. प्रश्नकाल के दौरान संसद के सदस्य किसी गैर-सरकारी सदस्य (जो मंत्रिपरिषद का हिस्सा नहीं हैं) से भी प्रश्न पूछ सकते हैं. इसके लिए शुक्रवार के दिन ढाई घंटे का एक तय समय सुनिश्चित रहता है.जो प्रश्न पूछे जाते हैं वो तीन प्रकार के होते हैं :
1) तारांकित प्रश्न (Starred Question)
2) अतारांकित प्रश्न (Unstarred Question)
3) अल्प सूचना प्रश्न (Short Notice Question)
प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार -
- तारांकित प्रश्न – इन प्रश्नों का उत्तर मौखिक रूप से दिया जाता है एवं प्रश्नकर्ता पूरक प्रश्न भी पूछ सकते हैं. लोकसभा में एक दिन में कुल 20 तारांकित प्रश्न पूछे जा सकते हैं. एक सदस्य एक हीं प्रश्न पूछ सकता है. और प्रश्न पूछने के कम से कम 15 दिन पूर्व सदन में सूचना देना आवश्यक है.
- अगर राज्यसभा की बात करें तो एक सदस्य तीन तारांकित प्रश्न पूछ सकता है. कुल संख्या को लेकर कोई सीमा तय नहीं की गयी है किन्तु सामान्य तौर पर 25 प्रश्न तक पूछे जाते हैं.
- अतारांकित प्रश्न – इन प्रश्नों के उत्तर में लिखित रिपोर्ट देना आवश्यक होता है और प्रश्नकर्ता पूरक प्रश्न नहीं पूछ सकते. लोकसभा में कुल 230 प्रश्न तक पूछे जा सकते हैं और राज्यसभा में कोई तय सीमा नहीं है.
- अल्प सूचना प्रश्न – इन प्रश्नों को पूछने के पूर्व कम से कम 10 दिनों पहले नोटिस देना होता है. इन प्रश्नों के उत्तर भी मौखिक रूप से दिए जाते हैं. ये प्रश्न लोकहित से जुड़े होते हैं.
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शून्यकाल-
शून्यकाल यानि कि जीरो ऑवर. जैसे हीं प्रश्नकाल खत्म होता है, शून्यकाल शुरू हो जाता है. यानि कि दोपहर 12 बजे से लेकर 1 बजे तक का समय शून्यकाल का होता है. इस दौरान संसद के सदस्य बिना पूर्व सूचना के संसद में मामले उठा सकते हैं. यानि की संसद का कोई भी सदस्य किसी भी मंत्री से ऐसे प्रश्न पूछ सकता है जो तुलनात्मक रूप से छोटे प्रश्न हैं और उन्हें पूछने के लिए इतनी लम्बी प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं है. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि शून्यकाल की प्रक्रिया सबसे पहले भारत ने शुरू की. हमारे भारतीय संविधान में शून्यकाल से सम्बंधित कोई उल्लेख नहीं है लेकिन शून्यकाल की परंपरा भारतीय संसद में 1962 से चली आ रही है.