The First Woman IPS Officer of The Country : जानिए देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी कौन थी

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Mon, 01 Aug 2022 11:16 AM IST

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इन्डियन पुलिस सर्विस यानि आईपीएस देश की एक प्रतिष्ठित सेवा है जिसके साथ विभिन्न प्रकार की चुनौतियाँ और उत्तरदायित्व जुड़े हुए हैं. देश के लाखों युवा पुरुष और महिला इस प्रतिष्ठित तथा गौरवपूर्ण सेवा का हिस्सा बनना चाहते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी कौन थी ?

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इन्डियन पुलिस सर्विस यानि आईपीएस एक अखिल भारतीय सेवा है, जिसके लिए हर साल अधिकारियों का चयन संघ लोक सेवा आयोग या यूपीएससी के द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से किया जाता है. यह देश की एक प्रतिष्ठित सेवा है जिसके साथ विभिन्न प्रकार की चुनौतियाँ और उत्तरदायित्व जुड़े हुए हैं. देश के लाखों युवा पुरुष और महिला इस प्रतिष्ठित तथा गौरवपूर्ण सेवा का हिस्सा बनना चाहते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी कौन थी ? अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here
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किरण बेदी भारत की पहली महिला आईपीएस

इतिहास गवाह है कि भारत देश की स्त्रियाँ कभी किसी भी भूमिका में पुरुषों से पीछे नहीं रही हैं. उस ज़माने में जब भारत में बेटियों के जन्म को बोझ माना जाता था तब भारत की एक बेटी ने देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा पास करके देश के इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज़ कर दिया था. भारत की उस तेजस्विनी बेटी का नाम था किरण बेदी यानि भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी. आइए देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी के बारे में जानते हैं कुछ खास बातें.

जीवन परिचय

किरण बेदी का जन्म 9 जून 1949 को अमृतसर पंजाब में एक पंजाबी परिवार में हुआ था. किरण के मन में बचपन से हीं वर्दी के प्रति बहुत प्रेम था. और इसी वजह से उन्होंने कॉलेज में एनसीसी भी ज्वाइन किया हुआ था. किरण ने साल 1968 में अंग्रेजी विषय से अपनी बीए ऑनर्स की परीक्षा पास की थी जिसके बाद 1970 में उन्होंने राजनीति विज्ञान से अपनी मास्टर डिग्री पूरी की. वर्ष 1972 में किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने वाली प्रथम महिला बनी. इसके अलावे साल 1988 में किरण ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की. पुलिस सेवा में इनका कार्यकाल 35 वर्ष तक का रहा. वर्ष 2007 में किरण ने अपनी मर्ज़ी से पुलिस सेवा से सेवानिवृति ले ली थी. अपनी सेवानिवृति के समय किरण बेदी, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (Bureau of Police Research & Development) में महानिदेशक के पद पर कार्यरत थीं.
 

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बहुमुखी प्रतिभा की धनी

समाज में बहुत से महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देने वाली आईपीएस अधिकारी किरण एक बेहतरीन टेनिस खिलाड़ी भी हैं. साल 1993 में अपनी सर्विस के दौरान हीं उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology), नई दिल्ली से ‘ड्रग अब्यूस एंड डोमेस्टिक वॉयलेस’ विषय पर पीएचडी भी की है. उन्होंने अपनी सेवाएं चंडीगढ़ के लेफ्टिनेंट के रूप में भी देश को प्रदान किया है.

समाज के बहुत से सुधारात्मक कार्यों को दिया अंजाम

नई दिल्ली के तिहाड़ जेल में महानिरीक्षक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान योगा, ध्यान, शराब की लत के इलाज के लिए कार्यक्रम, कैदियों की शिकायतों का निवारण आदि समेत इन्होंने जो सुधार किए वे अविस्मर्णीय हैं. इसी के साथ नशीली दवाओं के एडिक्ट, कैदियों के बच्चों तथा समाज के गरीब वर्गों की भलाई के लिए साल 1988 में किरण ने नवज्योति इंडिया फाउंडेशन तथा 1994 में इंडिया विजन फाउंडेशन भी की स्थापना की.

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बहुत मज़बूत हैं इरादे

किरण न केवल देखने में बेहद खूबसूरत हैं उनके इरादे भी बहुत मज़बूत रहे हैं. इसका एक मज़ेदार उदहारण है जब पार्किंग के उल्लंघन के लिए तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार को हटवा देने पर किरण बेदी को उनकी सख्त और मुस्तैद ड्यूटी के लिए एक उपनाम “क्रेन बेदी” से नवाज़ा गया था.

पुरस्कार, केवल एक औपचारिकता

पुरस्कारों की बात करें तो किरण की महान हस्ती के सामने पुरस्कारों की कोई हैसियत नहीं फिर भी जानकारी के लिए बता दूँ कि इन्होंने भारत और विदेशों में कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं. जिनमें प्रमुख हैं - राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार (1979), एशिया रीजन अवार्ड (1991) ड्रग प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के लिए, मैगसेसे पुरस्कार (1994), जोसेफ ब्यूज पुरस्कार (1997), मदर टेरेसा मेमोरियल नेशनल सामाजिक न्याय पुरस्कार (2005). संयुक्त राष्ट्र द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम के लिए सर्ज सोइटरॉफ मेमोरियल पुरस्कार आदि.
 
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पहली नियुक्ति

किरण की पहली नियुक्ति असिस्टेंट सुपरिन्टेन्डेन्ट ऑफ़ पुलिस के रूप में दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में हुई थी.