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सुभाष चंद्र बोस डिजास्टर मैनेजमेंट अवार्ड (आपदा प्रबंधन पुरस्कार)-
भारत में हर साल आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा प्रदान किए गए निस्वार्थ सेवा और अमूल्य योगदान को समझने और सम्मानित करने के लिए वार्षिक सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार (डिजास्टर मैनेजमेंट अवार्ड) की स्थापना की गई है. इस पुरस्कार की घोषणा हर साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती यानि जन्मोत्सव यानि 23 जनवरी को की जानी है. अगर यह पुरस्कार किसी संस्था को दिया जाता है तो इसके अंतर्गत 51/ लाख रुपये का नकद पुरस्कार और एक प्रमाण पत्र दिया जाता है. तथा अगर यह पुरस्कार किसी व्यक्ति को दिया जाता है तो उसे 5 लाख रूपए नकद और एक प्रमाण पत्र दिया जाता है.जन्म:
नेता जी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन 1897 को कटक, उड़ीसा डिवीजन, बंगाल प्रांत में हुआ था. सुभाष चंद्र बोस की जयंती अर्थात जन्म दिवस हर साल 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाया जाता है. उनकी माता का नाम प्रभावती दत्त बोस और पिता का नाम जानकीनाथ बोस था. वे कटक शहर के मशहूर वकील थे तथा अंग्रेजी सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब दिया था.
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शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:
सुभाष चंद्र बोस ने प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक किया था. इसके बाद उनके माता-पिता ने उन्हें भारतीय सिविल सेवा की तैयारी के लिए इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया था. सन 1920 में उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की, परन्तु अप्रैल 1921 में, भारत में राष्ट्रवादी उथल-पुथल के कारण उन्होंने अपनी सेवा से इस्तीफा दे दिया और भारत वापस आ गए. नेता जी सुभाष चंद्र बोस स्वामी विवेकानंद तथा चित्तरंजन दास की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे.
चित्तरंजन दास सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक गुरु भी थे. सुभाष चंद्र बोस ने चित्तरंजन दास के अखबार फॉरवर्ड के संपादक के रूप में काम भी किया था, पर फिर बाद में उन्होंने अपना खुद का अखबार स्वराज शुरू किया था.
उनकी पत्नी का नाम एमिली शेंकल था (अभी हाल में 1993 में जनता को यह पता चला कि सन 1937 में सुभाष चंद्र बोस ने एमिली शेंकल से विवाह किया था. )
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कांग्रेस से जुड़ाव : उपलब्धियाँ और योगदान-
- सुभाष चंद्र बोस पूर्ण स्वराज (स्वतंत्रता) चाहते थे. इसलिए उन्होंने मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट का विरोध किया था. मोतीलाल नेहरू डोमिनियन स्टेटस चाहते थे. जो सुभाष चंद्र बोस को मंजूर नहीं था. सन 1930 के नमक सत्याग्रह आन्दोलन में सुभाष चंद्र बोस ने सक्रिय रूप से भाग लिया था और सविनय अवज्ञा आंदोलन के निलंबन और 1931 में गांधी-इरविन समझौते पर हस्ताक्षर करने का पुरजोर विरोध किया था.
- 1930 के दशक में, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू और एम.एन. रॉय के साथ कांग्रेस में वामपंथी राजनीति से निकटता से जुड़े.
- सन 1938 में बोस ने हरिपुरा में कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षता भी की थी.
- सन 1939 में उन्होंने त्रिपुरी में फिर से गांधी के उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव जीता. किन्तु गांधी के साथ वैचारिक मतभेदों के कारण बोस ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस छोड़ दी. जिस कारण उनकी जगह राजेंद्र प्रसाद को नियुक्त किया गया था.
- उन्होंने एक नई पार्टी 'फॉरवर्ड ब्लॉक' की स्थापना की थी. इसका उद्देश्य अपने गृह राज्य बंगाल में राजनीतिक वामपंथ और प्रमुख समर्थन के आधार को मजबूत करना था.
भारतीय राष्ट्रीय सेना:उपलब्धियाँ और योगदान-
- जुलाई सन 1943 ईस्वी में वे जर्मनी से जापान-नियंत्रित सिंगापुर पहुंचे, जहाँ से उन्होंने अपना प्रसिद्ध आह्वान, 'दिल्ली चलो' की घोषणा की, और फिर 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार और भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन की भी घोषणा की.
- आईएनए का गठन पहली बार मोहन सिंह और जापानी मेजर इवाइची फुजिवारा के साहचर्य के तहत किया गया था और इसमें मलय (वर्तमान मलेशिया) अभियान और सिंगापुर में जापान द्वारा कब्जा किए गए ब्रिटिश-भारतीय सेना के युद्ध के भारतीय कैदी भी शामिल थे.
- आईएनए में सिंगापुर से युद्ध के भारतीय कैदी और दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय नागरिक दोनों शामिल हुए जिससे इसकी संख्या की ताकत बढ़कर 50,000 हो गई. 1944 में INA ने भारत की सीमाओं के अंदर इम्फाल और बर्मा की सहयोगी सेनाओं से लड़ाई लड़ी.
- नवंबर सन 1945 में, ब्रिटिश सरकार ने आईएनए के लोगों पर जब मुकदमा चलाने का हुक्म दिया और इस ट्रायल के कारण तुरंत हीं पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए गए.
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मृत्यु एक रहस्य-
कहा जाता है कि सन 1945 में ताइवान में एक विमान दुर्घटना में सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु हो गई थी. हालाँकि, उनकी मृत्यु के संबंध में अभी भी कई रहस्य हैं और उनकी मृत्यु को एक बड़ा षड्यंत्र माना जाता है.
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