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साना साना हाथ जोड़ि का अर्थ है - छोटे छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूँ। मधु कांकरिया जी ने इस पाठ में अपनी सिक्किम की यात्रा का वर्णन किया है। एक बार वे अपनी मित्र के साथ सिक्किम की राजधानी गंगटोक घूमने गयी थीं। वहां से वे यूमधांग, लायुंग और कटाओ गयीं। उन्होंने इस पाठ में सिक्किम की संस्कृति और वहां के लोगों के जीवन का विस्तार से वर्णन किया है। पाठ में हिमालय और उसकी घाटियों का भी सुंदर वर्णन किया गया है। लेखिका वहां की बदलती प्रकृति के साथ अपने को भी बदलता हुआ महसूस करती हैं। वे कभी प्रकृति प्रेमी, कभी एक विद्वान, संत या दार्शनिक के समान हो जाती हैं। लेखिका पर इस यात्रा का गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने इस पाठ का नाम, एक नेपाली युवती की बोली हुई प्रार्थना से लिया। इस पाठ में प्रदूषण के बारे में बताया गया है। इसमें हमें सिक्किम के लोगों की कठिनाइयों के बारे में भी पता चलता है।
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Check out Frequently Asked Questions (FAQs) for Chapter 3: साना साना हाथ जोड़ि
प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ को निम्नलिखित उपायों द्वारा कम कर सकते हैं-
- पहाड़ों पर लगे वृक्षों को न काटें और काटने वालों को भी रोकने से।
- पहाड़ों पर अधिक से अधिक पेड़ लगाएँ व दूसरों को भी लगाने के लिए प्रेरित करके।
- कम से कम वाहनों का प्रयोग करके जिससे प्रदूषण कम फैलेगा।
- नदियों आदि में गंदे नाले, अपशिष्ट पदार्थों को बहाना बन्द करके।
- पॉलीथिन का प्रयोग कम से कम करके हम प्रकृति को सुरक्षित रख सकते हैं।
- प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए प्राकृतिक उपादान से छेड़छाड़ कम करके।
- बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करके।
जितेन नार्गे एक कुशल गाइड है। वैसे तो पर्यटक वाहनों में ड्राइवर अलग और गाइड अलग होते हैं, लेकिन जितेन ड्राइवर-कम-गाइड है। अत: हम कह सकते हैं कि एक कुशल गाइड को वाहन चलाने में भी कुशल होना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़े तो वह ड्राइवर की भूमिका भी निभा सके।
एक कुशल गाइड को अपने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति तथा विभिन्न स्थानों के महत्व तथा उनसे जुड़ी रोचक जानकारियों का ज्ञान भी होना चाहिए जितेन ने यूमतांग का मतलब बताया कि – घाटियां । उसने बताया कि सिक्किम के लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं, जब किसी बौद्ध धर्म के अनुयाई की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर 108 श्वेत पताकाएं लगा दी जाती हैं।जितेन को पता है कि देवानंद अभिनीत ‘गाइड’ फिल्म (यह अपने समय की अति लोकप्रिय फिल्म थी) की शूटिंग लोंग स्टॉक में हुई थी। इससे पर्यटकों का मनोरंजन भी होता है और उनकी स्थान में रुचि भी बढ़ जाती हैं। जितेन यद्यपि नेपाली हैं, लेकिन उसे सिक्किम के जन-जीवन, संस्कृति तथा धार्मिक मान्यताओं का पूरा ज्ञान हैं। उसने बताया कि जगह -जगह दलाई लामा की तस्वीरें भी लगी हुई है जो लोगों की आस्था व विश्वास का प्रतीक है । वहाँ की कठोर जीवन- स्थितियों से भी वह भली-भाँति परिचित हैं। उसने बताया की यहां के लोग मेहनती होते हैं इसलिए सिक्किम राज्य की राजधानी को मेहनतकश बादशाहो का जगमगाता शहर कहा जाता है। इससे उसके कुशल गाइड़ होने का पता चलता हैै।
जितेन का सबसे अच्छा गुण हैं-मानवीय संवेदनाओं की समझ तथा परिष्कृत संवाद शैली। वह सिक्किम की सुन्दरता का गुणगान ही नहीं करता, वहाँ के लोगों के दु:ख-दर्द के बारे में लेखिका से बातचीत करता है। सिक्किम की औरतों व बच्चों के जीवन पर भी प्रकाश डालता है। उसकी भाषा बड़ी परिष्कृत और संवाद का ढंग अपनत्व से पूर्ण है, जो किसी गाइड को आवश्यक गुण है। इसके अतिरिक्त एक कुशल गाइड को उत्साही, धैर्यवान तथा जिज्ञासु होना चाहिए।
लेखिका ने यह बात उन स्त्रियों को देखकर कही है जो पहाड़ों के भारी-भरकम पत्थरों को तोड़कर रास्ता बनाने का श्रमसाध्य कार्य करने में लगी रहती हैं। उन्हें बहुत कम पैसा मिलता है, पर वे देश-समाज को बहुत अधिक लौटा देती हैं। देश की आम जनता भी देश की प्रगति में भरपूर योगदान करती हैं और उसे उतना नहीं मिल पाता जितने की वह हकदार होती है। देश के श्रमिक एवं किसान देश की प्रगति के लिए अनेक प्रकार के कार्यों के द्वारा अपना सहयोग देते हैं। यदि वे कार्य न करें तो देश प्रगति की राह पर आगे नहीं बढ़ सकता। उसके अलावा अन्य लोगों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। देश की प्रगति में प्रत्येक नागरिक की भी अहम भूमिका हैं । वह अपने वेतन व सुख-सुविधाओं की परवाह किए बिना देश की प्रगति के लिए अपना सहयोग देते हैं।देश के किसान भी धूप, सर्दी की परवाह किए बिना सबके लिए अन्न उगा कर सहयोग करते हैं। देश का फौजी व वैज्ञानिक भी कम वेतन पर पूूर्ण निष्ठा से सेवा कर प्रगति के नये रास्ते खोलता है।
प्रदूषण आज की प्रमुख समस्याओं में से एक है जो मानव द्वारा निर्मित है। इसने प्रकृति और मानव को मकड़ी के जाले के समान इस प्रकार बाँध लिया है कि वह उसमें फँसता ही जा रहा है। ये प्रदूषण का श्राप वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण के रूप में मानव-जाति को नुकसान पहुँचा रहा है। इससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। मौसम चक्र बिगड़ने के कारण भयावह परिणाम जैसे बढ़ता तापमान, बेमौसम बरसात या कहीं सूखा आदि प्राकृतिक प्रकोप बढ़ते ही जा रहे हैं औऱ मानव को कष्ट पहुंचा रहे हैं। आज की युवा पीढ़ी को पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए कमर कसनी होगी। लोगों को जागरूक करना होगा। वनों को संरक्षित करने का अभियान छेड़ना होगा। अधिकाधिक वृक्षारोपण के लिए लोगों को सर्वप्रथम वह लोगों जो नदियों को दूषित होने से बचाना होगा। भूमि को प्रदूषण से बचा स्वच्छता व प्राकृतिक जीवन जीने के लिए अभियान चलाने होंगे। पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता फेसबुक, ट्विटर व इंटरनेट के जरिए भी फैलाई जा सकती है। तभी इस धरती को बचाया जा सकता है अन्यथा प्रदूषण के परिणाम दुखद होंगे और मानव का अस्तित्व एक भयानक संकट में फँसता जाएगा।
सीमा पर तैनात सैनिकों को देखकर लेखिका का मन उन फौजियों के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक हो गया। वे सोचने लगी कि ये फौजी कितनी कठिनाइयों का सामना करते हैं। हम चैन की नींद सो सकें इसके लिए वेे एक पल भी नहीं सोते। शीत में चुस्त रहकर सीमा की रखवाली करते हैं। वैशाख में हम लोग वहाँ ठिठुरने लगते हैं। पौष और माघ के महीनों में तो वहाँ पेट्रोल के अलावा सब कुछ जम जाता है। ऐसी विकट परिस्थितियों में खाने-पीने के अभाव को झेलते हुए वे सीमा की रक्षा करते हैं। कई बार तो इन्हें अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ता है पर वे इसकी परवाह नहीं करते क्योंकि उनके लिए तो देश ही सर्वोपरि है ।