NCERT CBSE Class 10th Hindi (Kritika) Chapter 1: माता का आँचल

Safalta Expert Published by: Sylvester Updated Mon, 13 Jun 2022 01:31 PM IST

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'देहाती दुनिया’ उपन्यास से लिए गए इस अंश में ग्रामीण संस्कृति की झाँकी उकेरी गई है , जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न चरित्रों तथा बच्चों के शैशव – काल के अनेक क्रिया – कलापों का अत्यंत मनोहरी ढंग से चित्रण किया गया है। पाठ में भोलानाथ के चरित्र के माध्यम से माता – पिता का स्नेह और दुलार , बालकों के विभिन्न ग्रामीण खेल , लोकगीत और बच्चों की मस्ती एवं शैतानियों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें इस तथ्य को भी स्पष्ट किया गया है कि बच्चे का माँ से अधिक जुड़ाव होता है। भले ही वह अपने पिता के साथ अधिक समय बिताए , किंतु परेशानी के समय उसे माँ का आँचल ही शांति देता है। आत्मकथात्मक शैली में रचे गए इस उपन्यास का कथा – शिल्प अत्यंत मौलिक एवं प्रयोगधर्मी है।

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NCERT Solutions for Chapter 1: माता का आँचल


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Chapter 3: साना साना हाथ जोड़ि
Chapter 4: एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा
Chapter 5: मैं क्यों लिखता हूँ?

 

Check out Frequently Asked Questions (FAQs) for Chapter 1: माता का आँचल

लेखक किस घटना को याद कर कहता है कि वैसा घोड़मुँहा आदमी हमने कभी नहीं देखा? माता का अँचल पाठ के आधार पर बताइए।

अपने बचपन में लेखक और उनके मित्रों की टोली किसी दूल्हे के आगे-आगे जाती हुई ओहारदार पालकी को देख लेते तो बड़े ही जोर से चिल्लाते | एक बार ऐसा करने पर एक बूढ़े वर ने उन सबको बड़ी दूर तक खदेड़कर ढेलों से खूब मारा | उसे याद कर लेखक कहता है कि न जाने किस ससुर ने वैसा जमाई ढूँढ़ निकाला था | उस खूसट-खब्बीस की सूरत लेखक नहीं भुला पाया। लेखक ने वैसा घोड़मुँहा आदमी कभी नहीं देखा।

‘माता का आँचल’ पाठ में लड़कों की मंडली जुटकर विवाह की क्या-क्या तैयारियाँ करती थी?

‘माता का आँचल’ पाठ में लड़कों की मंड़ली बारात निकालती थी। वे कनस्तर को तंबूरा बनाकर बजाते, अमोले को घिसकर उससे बड़े मजेे से शहनाई बजाते, टूटी हुई चूहेदानी को पालकी बनाकर उसे कपड़े से ढक देते। कुछ बच्चे समधी बनकर बकरे पर चढ़ लेते थे और बारात चबूतरे के चारों ओर घूूूमकर दरवाजे लगती थी। वहाँ काठ की पटरियों से घिरे, गोबर से लिपे, आम और केले की टहनियों से सजाए हुए छोटे आँगन में कुल्हड़ का कलसा रख़ा रहता था। वहीं पहुँचकर बारात फिर लौट आती थी। लौटते समय खटोली पर लाल पर्दा डाल दिया जाता और दुल्हन को उस पर चढ़ा लिया जाता था। बाबूजी दुल्हन का मुँह देखते तो सब बच्चे हँस पढ़ते।

माता का आँचल पाठ में बैजू तथा बच्चों ने किसे तथा क्यों चिढ़ाया? उसका क्या परिणाम हुआ?

'माता का आँचल’ पाठ में बैजू और बच्चों ने गाँव के बुजुर्ग मूसन तिवारी को चिढ़ाया क्योंकि बैजू बड़ा ढीठ लड़का था | मूसन तिवारी अत्यंत वृद्ध थे | उन्हें आँखों से भी कम दिखाई देता था। गाँव के सभी लोग अकसर उनसे मजाक किया करते थे। बैजू ने मूसन तिवारी को चिढ़ाते हुए कहा-बुढ़वा बेईमान माँगे करैला का चोखा। पीछे से अन्य बच्चों ने भी इसी उक्ति को दुहराना शुरू किया। परिणामस्वरूप मूसन तिवारी सभी बच्चों के पीछे पड़ गए। सारे बच्चे भागकर बच गए। मूसन तिवारी ने पाठशाला पहुँचकर लेखक तथा बैजू की शिकायत की। बैजू तो भाग गया परंतु लेखक पकड़े गए। गुरूजी ने लेखक की खूब खबर ली और उन्हें घर जाने से मना कर दिया | लेखक के पिताजी को जब इस बात का पता चला तो वे लेखक को लेने विद्यालय पहुँचे और गुरूजी से उनकी ओर से क्षमा माँगी |

‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर भोलानाथ के बाबू जी के पूजा-पाठ की रीति पर टिप्पणी कीजिए। आप इससे क्या प्रेरणा ग्रहण करते हैं?

भोलानाथ के बाबू जी रोज़ प्रातःकाल उठकर अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर नहाकर पूजा करने बैठ जाते। वे रामायण का पाठ करते। पूजा-पाठ करने के बाद वे राम-नाम लिखने लगते । अपनी ‘रामनामा बही’ पर हज़ार राम-नाम लिखकर वे उसे पाठ करने की पोथी के साथ बाँधकर रख देते । इसके बाद पाँच सौ बार कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर राम-नाम लिखकर उन्हें आटे की गोलियों में लपेटते और उन गोलियों को लेकर गंगा जी की ओर चल पड़ते | वहां एक-एक आटे की गोलियों को मछलियों को खिलाने लगते। इससे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें सभी जीवों पर दया दिखानी चाहिए। मछलियों को आटे की गोलियां खिलाना, चींटी, गाय, कुत्ते, आदि सभी को भोजन देना चाहिए तथा सभी जीवों के प्रति प्रेम की भावना रखनी चाहिए।

बच्चे सरल, निर्दोष और मस्त होते हैं-माता का आँचल पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।

एक कहावत है- बच्चे मन के सच्चे और सरल होते हैं | उनके मन में जो भाव उठते हैं वे उन्हें बड़ी ही सहजता एवं सरलतापूर्वक कह देते हैं। वे मन से भी निर्दोष और निर्मल होते हैं। उन्हें किसी प्रकार की चिंता व भय नहीं सताता। वे बूढ़े दूल्हे को पसंद नहीं करते इसलिए उसे खूसट कह देते हैं इसलिए बूढ़ा दूल्हा उनके पीछे पड़ जाता है। बिना सोचे समझे मूसन तिवारी को चिढाना, चूहे के बिल में पानी डालना आदि उनकी मासूमियत और नादानी का ही उदाहरण है। वे नहीं जानते थे कि वे जो शरारत कर रहे हैं उसका क्या दुष्परिणाम हो सकता है | बच्चे खेल में इतने मस्त हो जाते हैं कि उन्हें घर-बार यहाँ तक की माँ-पिताजी की भी याद नहीं आती।

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