प्रस्तुत लेख को लेखक द्वारा प्रथम बार वर्ष 1914 में सरस्वती पत्रिका में ‘पढे – लिखों का पांडित्य' शीर्षक से प्रकाशित किया गया था। लेखक का मानना है कि समाज में स्त्रियाँ शिक्षा पाने एवं कार्यक्षेत्र में अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने में पुरुषों से किसी भी प्रकार से कम नहीं हैं , किंतु उन्हें इस स्थिति में आने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा।
प्रस्तुत लेख में विवेक से निर्णय लेकर परंपरा में ग्रहण करने योग्य बातों को स्वीकार करने की बात की गई है। लेखक ने पुरातनपंथी विचारों वाले उन व्यक्तियों का विरोध किया है जो स्त्री शिक्षा को व्यर्थ अथवा समाज के विघटन का कारण समझते हैं। लेखक के अनुसार , स्त्री शिक्षा समाज और राष्ट्र के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।
प्रस्तुत लेख में विवेक से निर्णय लेकर परंपरा में ग्रहण करने योग्य बातों को स्वीकार करने की बात की गई है। लेखक ने पुरातनपंथी विचारों वाले उन व्यक्तियों का विरोध किया है जो स्त्री शिक्षा को व्यर्थ अथवा समाज के विघटन का कारण समझते हैं। लेखक के अनुसार , स्त्री शिक्षा समाज और राष्ट्र के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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NCERT Solutions for Chapter 15: स्त्री - शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
Also Check
Chapter 1: सूरदास के पद
Chapter 2: राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
Chapter 3: सवैया और कवित्त
Chapter 4: आत्मकथ्य
Chapter 5: उत्साह और अट नहीं रही है
Chapter 6: यह दंतुरित मुस्कान और फसल
Chapter 7: छाया मत छूना
Chapter 8: कन्यादान
Chapter 9: संगतकार
Chapter 10: नेताजी का चश्मा
Chapter 11: बालगोबिन भगत
Chapter 12: लखनवी अंदाज़
Chapter 13: मानवीय करुणा की दिव्य चमक
Chapter 14: एक कहानी यह भी
Chapter 16: नौबतखाने में इबादत
Chapter 17: संस्कृति
Check out Frequently Asked Questions (FAQs) for Chapter 15: स्त्री - शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
पुराने समय में स्त्रियाँ बोलचाल के लिए किस भाषा का प्रयोग करती थीं?
प्राकृत भाषा
सीता ने अपनी पवित्रता किस प्रकार सिद्ध की?
आग में कूद कर
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने किन लोगों पर व्यंग्य किया है?
स्त्री - शिक्षा के विरोधियों पर
लेखक ने सुशिक्षित लोगों के किस व्यवहार पर चिंता प्रकट की है?
लेखक ने सुशिक्षित लोगों के भ्रष्ट और हिंसक व्यवहार पर चिंता प्रकट की है।
राम ने सीता का परित्याग क्यों किया?
राम ने सीता का परित्याग लोगों के कहने में आकर किया।