NCERT CBSE Class 10th Hindi (Kshitij) Chapter 2: राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

Safalta Expert Published by: Sylvester Updated Sat, 11 Jun 2022 03:08 PM IST

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NCERT CBSE Class 10th Hindi (Kshitij) Chapter 2: राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

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राम लक्ष्मण परशुराम संवाद को गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ से लिया गया है। इस काव्यांश में तुलसीदास जी ने सीता माँ के स्वयंवर की उस घटना का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है, जब श्रीराम से जगत-प्रसिद्ध शिव-धनुष टूट जाता है। राम लक्ष्मण परशुराम संवाद रामचरित मानस से लिया गया है। जो कि सीता जी के स्वयंवर के समय का है। श्री राम, शिव जी का धनुष उठाकर उसे तोड़ देते हैं, तो सारे संसार में इस बात की चर्चा आग की तरह फैल जाती है। जब यह बात परशुराम जी के कानों तक जाती है और उन्हें पता चलता है कि उनके गुरुदेव शिव जी का धनुष किसी ने तोड़ दिया है, वो अपने आपे से बाहर हो जाते हैं। वो धनुष तोडने वाले व्यक्ति का वध करने के लिए सीता जी के स्वयंवर वाली सभा में आ जाते हैं। उसके बाद राम – लक्ष्मण – परशुराम जी के बीच जो बात होती है, उसका वर्णन यहाँ दिया हुआ है।

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NCERT Solutions for Chapter 2: राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद


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Chapter 1: सूरदास के पद
Chapter 3: सवैया और कवित्त
Chapter 4: आत्मकथ्य
Chapter 5: उत्साह और अट नहीं रही है
Chapter 6: यह दंतुरित मुस्कान और फसल
Chapter 7: छाया मत छूना
Chapter 8: कन्यादान
Chapter 9: संगतकार
Chapter 10: नेताजी का चश्मा
Chapter 11: बालगोबिन भगत
Chapter 12: लखनवी अंदाज़

Chapter 13: मानवीय करुणा की दिव्य चमक
Chapter 14: एक कहानी यह भी
Chapter 15: स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
Chapter 16: नौबतखाने में इबादत
Chapter 17: संस्कृति


Check out Frequently Asked Questions (FAQs) for Chapter 2: राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद में लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बतलाई हैं?

राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित पदों के माध्यम से लक्ष्मण ने वीर योद्धा की विशेषता बताते हुए कहा है कि वीर योद्धा कभी भी धैर्य को नहीं छोड़ता, वह युद्ध भूमि में अपनी वीरता का प्रदर्शन शत्रु से युद्ध करके करता है। बुद्धिमान योद्धा रणभूमि में शत्रु का वध करता है। वह कभी भी अपने मुख से अपनी बड़ाई नहीं करता है। उसकी बढ़ाई तो युद्ध भूमि में उसकी वीरता के कौशल से होती हैं।

धनुष को तोड़ने वाला कोई आपका ही सेवक होगा-के आधार पर राम के स्वभाव पर टिप्पणी कीजिए।

राम लक्ष्मण परशुराम संवाद में यह कोई आपका ही दास होगा वाक्य के आधार पर भगवान श्रीराम शील स्वभाव के होने का पता चलता है। परशुराम के क्रोध को शांत करने का प्रयास करते हुए राम ने बड़ी ही विनम्र, सील स्वभाव से कहा कि शिव धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई दास होगा-ऐसा कहने से यह पता चलता है कि राम शांत, विनम्र स्वभाव के हैं। उनकी वाणी में मधुरता का गुण विद्यमान हैं। वे जानते थे कि भगवान परशुराम को विनम्रता से ही समझाया जा सकता है।

परशुराम जी ने अपने फरसे की क्या विशेषता बताई है?

राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद में गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार भगवान श्री परशुराम जी को अपनी शस्त्र विद्या पर अति विश्वास था। फरसा उनका प्रिय शस्त्र था | जिसके पैनेपन पर उन्हें गर्व था, वो कहते हैं कि उनका फरसा इतना भयानक है कि इसकी भयानक गर्जना से स्त्री के गर्भ में स्थित बालक भी मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं और इस फरसे से मैंने हजारों सिरों को धड़ से अलग कर दिया है।

लक्ष्मण ने परशुराम से किस प्रकार क्षमा-याचना की और क्यों?

राम लक्ष्मण परशुराम संवाद में लक्ष्मण ने कहा कि देवता, ब्राह्मण, भगवान के भक्त और गाय-इन पर हमारे कुल में वीरता नहीं दिखाई जाती है। इन्हें मारने पर पाप लगता हैं और इनसे हारने पर अपयश होता है। अतः आप हमें मारेंगे भी तो हम आपके पैर ही पड़ना चाहिगे। हे महामुनि! मैंने कुछ अनुचित कहा हो तो धैर्य धारण करके मुझे क्षमा करना। हम आपसे किसी प्रकार का युद्ध लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहते हैं। आपका आदर सत्कार करना ही हमारा धर्म है।

इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं – यह पंक्ति किसने और किस संदर्भ में कही है?

उपर्युक्त पंक्ति लक्ष्मण जी ने परशुराम जी से उस समय कही जब वे उन्हें बार-बार अपने क्रोध,पराक्रम और प्रतिष्ठा के विषय में बताते हुये उन्हें अपने फरसे की तीक्ष्णता से भी अवगत करा रहे थे जिसे सुन कर लक्ष्मण जी स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख सके और प्र्त्युत्तर में बोले कि बार-बार ये कुल्हाड़ा दिखा कर आप मानो फूँक से पहाड़ उड़ाना चाहते हो तो यहाँ कोई कुम्हड बतिया अर्थात कमजोर नहीं हैं जो आपकी तर्जनी देख कर डर जाए। इस लोकोक्ति के द्वारा वे परशुराम जी को सचेत करना चाहते है कि उनकी बातों से वे तनिक भी नहीं डरे,उन्हे अपनी शक्ति और क्षमता पर पूरा विश्वास है और वे उनका घमंड तोड़ने का पूरा साहस रखते हैं। और यदि आपको अपनी क्षमता पर इतना ही घमंड है तो आकर हमसे युद्ध कीजिएगा हम युद्ध के लिए तैयार हैं। हम तो आपको एक ऋषि, महात्मा समझ कर छोड़ रहे हैं। पर हम ब्राह्मण और ऋषि, महात्माओं के साथ युद्ध नहीं करते हैं।