NCERT CBSE Class 10th Hindi (Kshitij) Chapter 3: सवैया और कवित्त

Safalta Expert Published by: Sylvester Updated Sat, 11 Jun 2022 03:10 PM IST

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NCERT CBSE Class 10th Hindi (Kshitij) Chapter 3: सवैया और कवित्त

Source: safalta.com

कवि का पूरा नाम देवदत्त है, इन्हें हिंदी भाषा का महाकवि होने का गौरव प्राप्त है। अपने कवित्त और सवैयों में इन्होनें प्रकृति और प्रभु श्रीकृष्ण के मनोहर रूप का प्रशंसनीय वर्णन किया है। कवित्त में कवि देव प्रकृति और इसके विभिन्न अंगों का मानवीकरण करते हैं और कृष्ण के बालरूप का सुंदर चित्रण करते हैं। प्रथम कवित्त में बसंत ऋतु की सुंदरता का वर्णन किया गया है। उसे कवि ने एक नन्हे बालक की संज्ञा दी है। बसंत के लिए किसी पेड़ की डाल का पालना बना हुआ है और उस पालने पर नई पत्तियों का बिस्तर लगा हुआ है। बसंत ने फूलों से बने हुए कपड़े पहने हैं, जिससे उसकी शोभा और भी ज्यादा बढ़ गई है। पवन के झोंके उसे झूला झुला रहे हैं। मोर और तोते उसके साथ बातें कर रहे हैं। कोयल भी उसके साथ बातें करके उसका मन बहला रही है। ये सभी बीच-बीच में तालियाँ भी बजा रहे हैं। फूलों से पराग की खुशबू ऐसे आ रही है, जैसे कि घर की बूढ़ी औरतें राई और नमक से बच्चे की नजर उतार रही हों। बसंत तो कामदेव के सुपुत्र हैं, जिन्हें सुबह-सुबह गुलाब की कलियाँ चुटकी बजाकर जगाती हैं।

दूसरे कवित्त में कवि ने चाँदनी रात की सुंदरता का बखान किया है। चाँदनी का तेज ऐसे बिखर रहा है, जैसे किसी स्फटिक मणि के प्रकाश से धरती जगमगा रही हो। चारों ओर सफेद रोशनी ऐसी लग रही है, जैसे कि दही का समंदर बह रहा हो। इस प्रकाश में दूर-दूर तक सब कुछ साफ-साफ दिख रहा है। ऐसा लगता है कि पूरे फर्श पर दूध का झाग फैल गया है। उस फेने में तारे ऐसे लग रहे हैं, जैसे कि तरुणाई की अवस्था वाली लड़कियाँ सामने खड़ी हों। ऐसा लगता है कि मोतियों को चमक मिल गई है या जैसे बेले के फूल को रस मिल गया है। पूरा आसमान किसी दर्पण की तरह लग रहा है, जिसमें चारों तरफ रोशनी फैली हुई है। इन सब के बीच पूर्णिमा का चाँद ऐसे लग रहा है, जैसे आसमान रूपी दर्पण में राधा का प्रतिबिंब दिख रहा हो। प्रस्तुत सवैये में कवि देव ने श्री कृष्ण के राजसी रूप का वर्णन किया है। कवि का कहना है कि कृष्ण के पैरों की पायल मधुर धुन सुना रही हैं। कृष्ण ने कमर में करघनी पहनी है। जिससे उत्पन्न होने वाली धुन अत्यधिक मधुर लग रही है। उनके साँवले शरीर पर पीला वस्त्र लिपटा हुआ है और उनके गले में ‘बनमाल’ अर्थात एक प्रकार के फूलों की माला बड़ी सुंदर लग रही है। उनके सिर पर मुकुट सजा हुआ है। राजसी मुकुट के नीचे उनके चंचल नेत्र सुशोभित हो रहे हैं। उनके मुख को कवि देव ने चंद्रमा की उपमा दी है, जो कि उस अलौकिक आभा का प्रमाण है। श्रीकृष्ण के रूप को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे वे संसार-रूपी मंदिर के दीपक के सामान प्रकाशित हैं। वे समस्त जगत को अपने ज्ञान की रौशनी से उज्जवल कर रहे हैं।

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Check out Frequently Asked Questions (FAQs) for Chapter 3: सवैया और कवित्त

कवि ने चाँदनी की कल्पना किसके रूप में की है?

कवि ने चाँदनी की कल्पना सुधा-मंदिर के रूप में की है।

कृष्ण के चरणों में क्या सुशोभित हैं?

कृष्ण के चरणों में नुपुर सुशोभित हैं।

चाँदनी रात में कौन दर्पण-सा प्रतीत होता है?

चाँदनी रात में आकाश दर्पण-सा प्रतीत होता है।

किसकी जगमगाहट राधा की सखियों की तरह लग रही है?

तारों की जगमगाहट राधा की सखियों की तरह लग रही है।

कृष्ण को किसकी भांति सजा-धजा दिखाया गया है?

कृष्ण को दूल्हे की भांति सजा-धजा दिखाया गया है।