हिंदी साहित्य जगत के अनोखे कवि श्री सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने एक से बढ़कर एक अनोखी रचनाएं लिखीं। इस पाठ में उनकी दो कविताएं ‘उत्साह’ और ‘अट नहीं रही है’ दी गयी हैं। उत्साह कविता निराला जी के सबसे पसंदीदा विषय बादल पर रचित है। यह कविता बादल के रूप में आये दो अलग तरह के बदलावों को दर्शाती है। इस कविता के माध्यम से निराला जी ने जीवन को एक अलग दिशा देने एवं अपना विश्वास खो चुके लोगों को प्रेरणा देने का प्रयास किया है। कवि बादलों के आने के ज़िक्र के जरिये, जीवन से निराश व हताश लोगों को यह उम्मीद देना चाहते हैं कि चाहे जो कुछ हो, लेकिन आपके जीवन में भी खुशहाली ज़रूर लौटेगी और आपके अच्छे दिन ज़रूर आयेंगे।
कविता में उन्होंने दूसरा अहम संदेश ये दिया है कि जिस तरह बादल बेजान पौधों में नई जान डाल देते हैं, वैसे ही मनुष्य को सारे दुखों को भूलकर अपने जीवन की नयी शुरुआत करनी चाहिए और ज़िंदगी में हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए। मुख्य रूप से निराला जी ने यह कविता हमारे भीतर सोयी क्रांति को फिर से जगाने के लिए लिखी है।
अट नहीं रही है कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन बड़े ही सुन्दर ढंग से किया है। होली के समय जो महीना होता है, उसे फागुन कहा जाता है। उन्होंने इस कविता में, इस महीने में प्रकृति एवं मानवीय मन में होने वाले बदलाव को बड़े ही सुंदरता से दिखलाया है। फागुन के समय पूरी प्रकृति खिल-सी जाती है। हवाएं मस्ती में बहने लगती हैं, फूल खिल उठते हैं और आसमान में उड़ते पक्षी सबका मन मोह लेते हैं। इस तरह प्रकृति को मस्ती में देखकर मनुष्य भी मस्ती में आ जाता है और फागुन के गीत, होरी, फाग इत्यादि गाने लगता है।
कविता में उन्होंने दूसरा अहम संदेश ये दिया है कि जिस तरह बादल बेजान पौधों में नई जान डाल देते हैं, वैसे ही मनुष्य को सारे दुखों को भूलकर अपने जीवन की नयी शुरुआत करनी चाहिए और ज़िंदगी में हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए। मुख्य रूप से निराला जी ने यह कविता हमारे भीतर सोयी क्रांति को फिर से जगाने के लिए लिखी है।
अट नहीं रही है कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन बड़े ही सुन्दर ढंग से किया है। होली के समय जो महीना होता है, उसे फागुन कहा जाता है। उन्होंने इस कविता में, इस महीने में प्रकृति एवं मानवीय मन में होने वाले बदलाव को बड़े ही सुंदरता से दिखलाया है। फागुन के समय पूरी प्रकृति खिल-सी जाती है। हवाएं मस्ती में बहने लगती हैं, फूल खिल उठते हैं और आसमान में उड़ते पक्षी सबका मन मोह लेते हैं। इस तरह प्रकृति को मस्ती में देखकर मनुष्य भी मस्ती में आ जाता है और फागुन के गीत, होरी, फाग इत्यादि गाने लगता है।
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NCERT Solutions for Chapter 5: उत्साह और अट नहीं रही है
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Chapter 1: सूरदास के पद
Chapter 2: राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
Chapter 3: सवैया और कवित्त
Chapter 4: आत्मकथ्य
Chapter 6: यह दंतुरित मुस्कान और फसल
Chapter 7: छाया मत छूना
Chapter 8: कन्यादान
Chapter 9: संगतकार
Chapter 10: नेताजी का चश्मा
Chapter 11: बालगोबिन भगत
Chapter 12: लखनवी अंदाज़
Chapter 13: मानवीय करुणा की दिव्य चमक
Chapter 14: एक कहानी यह भी
Chapter 15: स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
Chapter 16: नौबतखाने में इबादत
Chapter 17: संस्कृति
Check out Frequently Asked Questions (FAQs) for Chapter 5: उत्साह और अट नहीं रही है
उत्साह कवि की कैसी रचना है?
उत्साह एक आह्वान गीत है जिसमें कवि ने बादलों का आह्वान किया है | किसी भी परिवर्तन के लिए जोश की आवश्यकता होती है इसलिए कवि नवचेतना लाने के लिए बादलों का आह्वान करता है जिससे वातावरण परिवर्तित हो सके |
‘पाट-पाट शोभा-श्री पट नहीं रही है।’-पंक्ति किस सन्दर्भ में लिखी गई है?
उपर्युक्त पंक्ति का भाव है कि जिस प्रकार बच्चों की कल्पनाएँ पलभर में ही बनती और बिगड़ती हैं उसी प्रकार बादल भी अचानक अज्ञात दिशा से आ जाते हैं और पल भर में ही तिरोहित भी होने लगते हैं |
निराला की कविता ‘उत्साह’ तथा ‘अट नहीं रही है’ में किन ऋतुओं का वर्णन हुआ है? उनमें से आपको कौन-सी ऋतु आकर्षक और उपयोगी लगती है?
कवि ने उत्साह कविता बादलों को संबोधित की है क्योंकि ‘बादल’ निराला का प्रिय विषय है | जहाँ कविता में बादल एक ओर प्यास से पीड़ित लोगों की प्यास बुझाने वाला है वही दूसरी ओर उसे नवीन कल्पना और नवांकुर के लिए विप्लव और क्रांति चेतना को संभव करने वाला भी माना है |
कविता ‘अट नहीं रही है’ में किस ऋतु के प्राकृतिक सौदर्य का चित्रण किया गया है?
वसंत ऋतु
कविता में जल का बरसना किसका प्रतीक है?
कविता में जल का बरसना शांति और सुख की स्थापना का प्रतीक है।