"छाया मत छूना” में कवि गिरिजाकुमार माथुर जी ने हमें यह संदेश देने की कोशिश की है कि हमें अपने अतीत के सुखों को याद कर अपने वर्तमान के दुःख को और गहरा नहीं करना चाहिए अर्थात व्यक्ति को अपने अतीत की यादों में डूबे न रहकर, अपनी वर्तमान स्थिति का डट कर सामना करना चाहिए और अपने भविष्य को उज्जवल बनाना चाहिए। कवि हमें यह बताना चाहता है कि इस जीवन में सुख और दुःख दोनों ही हमें सहन करने पड़ेंगे। अगर हम दुःख से व्याकुल होकर अपने अतीत में बिताए हुए सुंदर दिन या सुखों को याद करते रहेंगे, तो हमारा दुःख कम होने की बजाय और बढ़ जाएगा। हमारा भविष्य भी अंधकारमय हो जाएगा। इसलिए हमें अपने वर्तमान में आने वाले दुखों को सहन करके, अपने भविष्य को उज्जवल बनाने का प्रयास करना चाहिए।
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NCERT Solutions for Chapter 7: छाया मत छूना
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Chapter 10: नेताजी का चश्मा
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Chapter 12: लखनवी अंदाज़
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Chapter 14: एक कहानी यह भी
Chapter 15: स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
Chapter 16: नौबतखाने में इबादत
Chapter 17: संस्कृति
Check out Frequently Asked Questions (FAQs) for Chapter 7: छाया मत छूना
तन-सुगंध शेष रही बीत गई यामिनी पंक्ति का आधार समझाइए।
‘तन सुगंध शेष रही बीत गई बीत यामिनी’ इस पंक्ति के आधार पर कवि कहना कहना चाहता है कि प्रेयसी के साथ बिताए गई सुखद रात बीत चुकी है अब उसके शरीर की सुगंध शेष है जो आज भी महक रही है अर्थात सुखमय समय तो बीत चुका है किंतु वे स्मृतियां अब भी आनंदित कर कर रही हैं। सुख के दिन बीत जाने के बाद उसकी स्मृति रह जाती है,जो वर्तमान को और दुखद बना बना देती है। अतः हमें विगत स्मृतियों भुलाकर अपने वर्तमान को आनंददायक बनाना चाहिए।
मनुष्य अतीत में खोए रहने के कारण दुःखी रहता है। आपके विचार में दुःख के और क्या कारण हो सकते हैं?
दूसरों के सुख से ईर्ष्या करना, स्वार्थी मानसिकता होना भी दुःख के कारण हो सकते हैं। असफलता भी दु:ख का कारण होती है। मनुष्य अतीत में खोए रहने के कारण दुखी रहता है। इस दुख के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
- विगत स्मृतियों को याद करके दुखी हो जाना।
- यश,वैभव, मान-सम्मान, धन-दौलत के लिए भटकते रहना।
- प्रभुता या बड़प्पन की आकांक्षा रखना।
- दुविधा ग्रस्त रहते हुए जीवन बिताना।
- उपलब्धियों की प्राप्ति न होने पर परेशान रहना।
जीवन में है सुरंग सुधियाँ सुहावनी से कवि का अभिप्राय किन मधुर स्मृतियाँ से है?
'जीवन में सुरंग सुधियाँ सुहावनी’ से कवि का अभिप्राय उन मधुर स्मृतियाँ से है जो याद आने पर हमें पीड़ा देती हैं कवि ऐसी यादों से बचने का प्रयास करने के लिए कह रहा है। ऐसी सुखद यादें प्राय: प्रेम से सम्बन्धित होती हैं जो हमें पीड़ा पहुँचाती हैं इसलिए उन यादों में न खो जाने की सलाह कवि दे रहा है। जीवन में सुरंग सुधिया सुहावनी से कवि का अभिप्राय बहुत सी रंग बिरंगी सुंदर यादों से है | इनसे यादों के अत्यधिक सुखद और मधुर होने का एहसास होता है।
'छाया मत छूना’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
बीती बातों को भूलकर आगे बढ़ना। कवि अतीत की सुखद स्मृतियों को वर्तमान के दुःख का कारण मानता है | अत: वर्तमान में जीने की प्रेरणा देता है। हमें अतीत को नहीं, भविष्य की ओर देखना चाहिए। छाया मत छूना में कवि का अभिप्राय बीते हुए सुखद पलों से है। इन पलों को कवि वर्तमान के दुख का कारण मानता है। हमें इन यादों को भुला कर वर्तमान के यथार्थ का पूजन करना चाहिए।
'छाया मत छूना’ कविता के आधार पर दुःख के कारण बताइए।
कवि ने दु:ख के कारण बताए हैं-पुरानी यादें और बड़े सपने। इन्हें जीने से दु:ख बढ़ते हैं। यश, वैभव, मान, सम्पत्ति सब बड़े सपने हैं जो छाया की तरह अवास्तविक एवं काल्पनिक हैं। व्यक्ति को अतीत की यादों और भविष्य के इन सपनों से अलग रहकर जीना चाहिए तभी दु:ख से बच सकता है। कविता में दुख के अनेक कारण बताए हैं-
- पुरानी स्मृतियों को याद करने से वर्तमान का दुख और गहरा हो जाएगा।
- संपत्ति एवं यश की लालसा में दुख ही प्राप्त होता है।
- प्रभुत्व प्राप्त करने की आकांक्षा मृगतृष्णा के समान दुखदाई है।
- दुविधा मनुष्य के साहस को असमंजस में डाल देती है।