कवयित्री ने संपूर्ण सृष्टि को ही परमेश्वर का साकार रूप माना है और वह प्रभु – ज्ञान के आलोक से अज्ञानता के अंधकार को से नष्ट करना चाहती हैं । कवयित्री के अनुसार , आत्मा , परमात्मा का अंश है । प्रत्येक आत्मा ईश्वर के साथ मिलकर एकाकार हो जाना चाहती है । इसलिए आत्मारूपी दीपक को ईश्वर रूपी प्रियतम से मिलने तक जलते रहना चाहिए अर्थात् आस्था का आश्रय नहीं छोड़ना चाहिए ।
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NCERT Solutions for Chapter 6: मधुर मधुर मेरे दीपक जल
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Chapter 16: पतझड़ में टूटी पत्तियाँ
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Check out Frequently Asked Questions (FAQs) for Chapter 6: मधुर मधुर मेरे दीपक जल
कवयित्री के अनुसार मनुष्य को कल्याण कैसे करना चाहिए?
आत्म -बलिदान के मार्ग से
कवयित्री के अनुसार संसार में किस बात का अभाव है?
ईश्वर की भक्ति एवं प्रेम का
कवयित्री के अनुसार आसमान में तारे किस तरह जलते हैं?
बिना तेल के
कवयित्री ने प्रियतम का पथ किसे माना है?
परमात्मा की ओर जाने के पथ को
कवयित्री दीपक को जलने के लिए क्यों कहती है?
ताकि ईशवर रुपी प्रियतम का पथ प्रकाशमान रहे उन्हें कवयित्री तक पहुँचने में कोई परेशानी न हो