पद्मश्री से सम्मानित सेकसरिया की अनेक कृतियाँ हैं , जिनमें एक कार्यकर्ता की डायरी ‘ उल्लेखनीय है । प्रस्तुत पाठ इसी का अंश है ।
इस पाठ के अंतर्गत 26 जनवरी , 1931 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस , स्वयं लेखक तथा कलकत्ता के हज़ारों लोगों द्वारा देश का दूसरा स्वतंत्रता दिवस उत्साह से मनाने का वर्णन है । यह पाठ क्रांतिकारियों की कुर्बानियों की याद दिलाते हुए समाज की एकता को प्रदर्शित करता है । पिछले वर्ष 26 जनवरी , 1931 को संपूर्ण भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था और आज इसी की पुनरावृत्ति हो रही है । कलकत्ता में इसका विशेष महत्त्व था और लोगों को बता दिया गया था कि इसका संपूर्ण प्रबंध उन्हें ही करना है । इसे इतने भव्य रूप में मनाया जा रहा था कि केवल प्रचार में ही दो हज़ार रुपये खर्च किए गए थे । बड़ा बाज़ार स्थित सभी मकानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा रहा था ।
कई मकान तो ऐसे थे , जिन्हें देखकर लग रहा था जैसे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई है । उधर पुलिस ने भी पूरा प्रबंध किया हुआ था । शहर के प्रत्येक मोड़ पर गोरखे और सारजेंट तैनात किए गए थे । ट्रैफिक पुलिस को भी घुड़सवार पुलिस के साथ इसी काम पर लगा दिया गया था ।