NCERT CBSE Class 10th Hindi (Sparsh) Chapter 15: अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले

Safalta Expert Published by: Sylvester Updated Fri, 17 Jun 2022 01:51 PM IST

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NCERT CBSE Class 10th Hindi (Sparsh) Chapter 15: अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले

Source: safalta.com

प्रस्तुत पाठ में लेखक ने मानव के संवेदनहीन होने का संकेत दिया है । पाठ में विभिन्न प्रसंगों के आधार पर निदा फ़ाज़ली ने यह स्पष्ट किया है कि सभी को इस धरती पर रहने का पूरा अधिकार है । स्वार्थी प्रवृत्ति ने मानव को इतना अधिक लालची बना दिया है कि उसने अन्य जीवधारियों को इस धरती से बेदखल ही कर दिया है । अब वह मानव जाति की भी परवाह नहीं करता । दूसरों के दुःख – सुख से उसे कोई सरोकार नहीं ।

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NCERT Solutions for Chapter 15: अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले


Also Check

Chapter 1: साखी
Chapter 2: मीरा के पद
Chapter 3: बिहारी के दोहे
Chapter 4: मनुष्यता
Chapter 5: पर्वत प्रदेश में पावस
Chapter 6: मधुर मधुर मेरे दीपक जल
Chapter 7: तोप
Chapter 8: कर चले हम फ़िदा
Chapter 9: आत्मत्राण
Chapter 10: बड़े भाई साहब
Chapter 11: डायरी का एक पन्ना
Chapter 12: तताँरा - वामीरो कथा
Chapter 13: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
Chapter 14: गिरगिट
Chapter 16: पतझड़ में टूटी पत्तियाँ
Chapter 17: कारतूस

 


Check out Frequently Asked Questions (FAQs) for Chapter 15: अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले

प्रकृति मनुष्य को कब दण्डित करती है?

जब वह प्रकृति से अधिक छेड़ छाड़ करता है

लेखक के अनुसार संसार में सब कुछ कैसा है?

नश्वर

कबूतर इधर उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?

दोनों अंडे टूट जाने के कारण

समुद्र धीरे धीरे क्यों सिकुड़ रहे हैं?

क्योंकि उसकी जमीन पर इमारतें और मकान खड़े हो गए

मनुष्य ने अपनी बुद्धि से क्या खड़ा किया है?

भेदभाव और ऊंची दीवारें