NCERT CBSE Class 10th Hindi (Sparsh) Chapter 1: साखी

Safalta Expert Published by: Sylvester Updated Fri, 17 Jun 2022 01:34 PM IST

Highlights

NCERT CBSE Class 10th Hindi (Sparsh) Chapter 1: साखी

Source: safalta.com

कबीर ने प्रस्तुत साखियों में दैनिक जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को अभिव्यक्त किया है । उन्होंने मधुर वचन के महत्त्व , मनुष्य की प्रवृत्ति , प्रेम के महत्त्व , आलोचकों की उपयोगिता आदि को विशेष रूप से उजागर किया है , साथ ही अहंकार के त्याग , प्राणी मात्र से प्रेम , सांसारिक सुखों और वासनाओं के त्याग पर भी बल दिया है ।

कबीर ने ईश्वर के प्रति प्रेम की उस प्रक्रिया को भी प्रदर्शित किया है , जिसके विरह में साधक का जीवन निरर्थक हो जाता है । उन्होंने स्पष्ट किया है कि सांसारिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए सांसारिक सुख – सुविधाओं का त्याग कर , प्राणी मात्र से प्रेम करना होगा । इस प्रकार , प्रस्तुत साखियों के माध्यम से कबीर ने जन – सामान्य को सीख देने का प्रयास किया है ।

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NCERT Solutions for Chapter 1: साखी


Also Check

Chapter 2: मीरा के पद
Chapter 3: बिहारी के दोहे
Chapter 4: मनुष्यता
Chapter 5: पर्वत प्रदेश में पावस
Chapter 6: मधुर मधुर मेरे दीपक जल
Chapter 7: तोप
Chapter 8: कर चले हम फ़िदा
Chapter 9: आत्मत्राण
Chapter 10: बड़े भाई साहब
Chapter 11: डायरी का एक पन्ना
Chapter 12: तताँरा – वामीरो कथा
Chapter 13: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
Chapter 14: गिरगिट
Chapter 15: अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले
Chapter 16: पतझड़ में टूटी पत्तियाँ
Chapter 17: कारतूस


Check out Frequently Asked Questions (FAQs) for Chapter 1: साखी

कस्तूरी कहाँ होती है और मृग उसे कहाँ तलाशता है?

कस्तूरी मृग की नाभि में होती है, पर मृग को इस विषय में ज्ञान न होने के कारण वो उसे पूरे वन में तलाशता है |

मीठी वाणी बोलने से क्या लाभ होता है?

मीठी वाणी से सुनने वाले तथा बोलने वाले दोनों को ही सुख मिलता है इसलिए सदा मीठी वाणी बोलनी चाहिए |

कबीर की साखियों से क्या शिक्षा मिलती है?

कबीर की साखियाँ हमें जहाँ व्यावहारिक ज्ञान देती हैं, वहीं हमें जीवन मूल्यों से भी परिचित करवाती हैं | ईश्वर कहीं और नहीं बल्कि मनुष्य के ह्रदय तथा संसार के कण-कण में बसता है इसलिए उसकी प्राप्ति के लिए कर्मकांडों,आडम्बरों की नहीं , सच्ची भक्ति की आवश्यकता होती है | ऐसी जीवनोपयोगी शिक्षाएँ हमें कबीर की साखियों से मिलती हैं |

विरह का सर्प वियोगी की क्या दशा कर देता है?

विरह एक ऐसे सर्प के सामान है जो अगर किसी को जकड ले,तो उसे कोई मात्रा भी मुक्ति नहीं दिला सकता | ईश्वर की विरह में भक्त भी या तो प्राण त्याग देता है या विक्षिप्त (पागल) हो जाता है |

कबीर निंदक को कहाँ रखने को कहते हैं?

कबीर कहते हैं कि निंदक को अपने आँगन में कुटिया बनवाकर रखना चाहिए |